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आज सापडलेलं उद्याचं सूत्र

आज शिवजयंती. सगळ्यांना शिवजयंतीच्या हार्दिक शुभेच्छा. सकाळपासून प्रत्येकजण सोशल नेटवर्क व र 'राजे परत या, राजे परत या' असं टाकतोय. खरं पाहता यात वावगं काहीच नाही हो. पण आजच...

वजूद

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उस दुनिया में अब कोई नहीं दिखता, पलकों से ओझल हो गया है सब... मिट्टी के ढेर में दब गयें हैं कुछ लोग, कुछ रिश्ते... पहले पानी मिलता था जो नदी से बहकर गांव तक आता था... पर आज उसका रंग भूरा लाल हो गया है... शायद उसमें, खून के कुछ कतरें छूँट गयें हैं... एक मंदिर भी था यहाँ, शायद भगवान रहता था उसमे... इंसान तो अक्सर नीचे गिरा करता था, आज भगवान भी गिर गया है... कभी खुशियां छलकतीं थी यहाँ, आज गांव ही खो गया है... आंसू तो दब गये है मिट्टी में, कुछ बचा भी तो नहीं है जो ढूंढ़ सकूँ... बस सिसकियों के सहारें, अपने वजूद को ढूँढ रहा हूँ...!!!                          - शुभम साळुंखे, पुणे.

बस ऐसेही...

आपल्याला सोडून तिसऱ्याच ठिकाणी राहणाऱ्या मुलाची आठवण म्हाताऱ्याला आल्यावर म्हातारी बिचारी रिऍक्ट कसं व्हावं या गोंधळात जेव्हा दुसऱ्याच कामांची कारणं समोर टाकून व...